हठ योग

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने कुछ लोगो और योगियो को योग करते दिखाया है इसमें आध्यात्मिक साधुओं के कई प्रकार के योग होते है , इसमें एक योगी अपनी नासिका को भाले से भेदते हुए योग मुद्रा में बैठे है , वही एक और एक योगी भाले से अपने गाल को भेदते हुए दिखाया है वही दो सैनिक इन योगियो को योग मुद्रा में देख कर स्वयं माला लेकर योग मुद्रा में बैठ कर योग का अनुभव कर रहे है |वही पर एक संत माला लिए योग मुद्रा में बैठे है , इन योगियो को देख कर दो आदि मानव तुरही बजा कर योग मुद्रा का आभास कर रहे है | इस सारे दृश्य को देख कर व इन हठ योगियो को योग करते देख कर एक महिला आश्चर्य चकित हो रही है | हठ योग का मतलब क्या जबरदस्ती योग करने से होता है ? योग गुरु सुरक्षित गोस्वामी; हठ योग जबरदस्ती का योग नही , बल्कि सहजता से भरा है |इसमें अगर हठ के करना है तो आलस से भरे जिद्दी मन से करना है | हठ का मतलब जबरदस्ती होता है लेकिन हठ के साथ जब योग जुड़ जाता है तब उसका मतलब आध्यात्मिक हो जाता है | हठ ह और ठ से मिलकर बनता है | ‘ह’ का मतलब पिंगला नाडी या सूर्य स्वर या दाई नासिका से आने-जाने वाली सांस , और ठ का मतलब इडा नाडी या चंद स्वर या बाई नासिका से आने जाने वाली सांस | इन दोनों स्वरों के मिलन की साधना को हठ योग कहते है | यह नाथ योगियो की साधना रही है , जो आदिनाथ भगवान शिव गुरु गोरख नाथ आदि सिद्ध योगियो द्वारा बताई गई है | इससे गृहस्थ जीवन में रह रहे लोग भी अपने शरीर मन इन्द्रियों और प्राणों को स्वस्थ कर अध्यात्म की और बढ़ सकते है | इसके सात अंग बताये गये है – षटकर्म आसन मुद्रा , प्रत्याहार , ध्यान और समाधी | षट कर्म शरीर का शोधन करते है आसन से मजबूती आती है , मुद्राओ से स्थिरता , प्रत्याहार से धेर्य प्राणायम से हल्कापन , ध्यान से आत्म – साक्षात्कार और समाधि से साधक मुक्ति भाव में रहता है | यह साधना मन और प्राण में छिपी अनंत शक्तियों का विकास करने वाली है | ज्यादातर बीमारियों का इलाज इससे बड़ी आसानी से हो सकता है | बीमारियों को दूर करने और सेहतमंद बने रहने के लिए जितने भी षट कर्म , आसन और प्राणायाम आजकल प्रचलित है , वे सब हठ योग के ही है , चोरासी लाख योगियों से लिए गये चोरासी लाख आसनों का जिक्र आता है | महर्षि पंतजलि के चार प्राणायाम को छोड़कर सभी प्राणायाम हठ योग से है | इसमें ध्यान की कई विधिया बताई गई है | आध्यात्मिक उन्नति के लिए हठ योग में ही कुंडलिनी शक्ति , नादंनुसंधान चक्र स्वर नाड़ियो आदि सभी रहस्यों का वर्णन किया गया है | इसी का नाम हठ योग है ||